The Ultimate Guide To Shodashi

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

The Mahavidya Shodashi Mantra supports emotional security, advertising and marketing therapeutic from previous traumas and internal peace. By chanting this mantra, devotees obtain release from unfavorable emotions, developing a well balanced and resilient mentality that can help them facial area lifestyle’s issues gracefully.

The reverence for Goddess Tripura Sundari is apparent in just how her mythology intertwines While using the spiritual and social material, giving profound insights into the nature of existence and the path to enlightenment.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

The supremely gorgeous Shodashi is united in the heart with the infinite consciousness of Shiva. She removes darkness and bestows light-weight. 

ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥

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सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

The Goddess's victories are celebrated as symbols of the final word triumph of fine above evil, reinforcing the ethical material from the universe.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर click here लेता है।

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